शीर्षक - क्या करे ये दिल बेचारा !
जब किसी लड़की को देखा था,
दिमाग ने दिल को संदेश भेजा था ।
दिल ने उसके साथ नाता जोड़ा,
एक दिन उसने वो नाता तोड़ा।
कसूर दिमाग का था, दिल को सजा मिली।
क्या करे ये दिल बेचारा !
कोई विवाद शुरू होता है तब,
छोटी सी बात होती है, पर विवाद की नींव होती है ।
दिमाग ने दिल को कह दी ,
फिर से विवाद शुरू हुआ।
कसूर दिमाग का था, दिल को सजा मिली।
क्या करे ये दिल बेचारा !
पढ़ाई करने बैठे तो मन लगा नही,
लोग समझे दिल में अभी आग लगी नही ।
कसूर दिमाग का था, दिल को सजा मिली ।
क्या करे ये दिल बेचारा !
न जाने कितनी ऐसी बाते है,
जिसको दिमाग भूल जाता है ।
कसूर दिमाग का होता है,
दिल को सजा मिलती है।
वैसे तो है दिल-दिमाग का "यारा" जैसा नाता ,
पर हर बार दिमाग दिल को दर्द देता ।
क्या करे ये दिल बेचारा !
~ याज्ञिक रावल ✍🏻
23/08/2024